कल रात 10 बजे से 13 जुलाई सुबह 5 बजे तक उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन लागू

महिला

भारत में सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी का कहना है कि शुक्रवार की रात से सोमवार सुबह तक प्रदेश में लागू किए जाने वाला प्रतिबंध ‘लॉकडाउन’ नहीं है.

उनके अनुसार ये ‘सिर्फ़ रेस्ट्रिक्शन’ हैं या यूँ कहा जाये कि एहतियात के तौर पर उठाया गया क़दम हैं, जिससे ना सिर्फ़ कोरोना वायरस, बल्कि डेंगू, कालाज़ार, इन्सेफ़ेलाइटिस और मलेरिया जैसे रोगों के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकेगा.

शुक्रवार की रात 10 बजे से लेकर सोमवार सुबह 5 बजे तक हर ग़ैर-ज़रूरी काम पर रोक रहेगी.

इस संबंध में मुख्य सचिव के कार्यालय ने सभी ज़िला अधिकारियों को सूचित कर दिया है.

इस दौरान आवश्यक सेवाओं के अलावा सभी दूसरे प्रतिष्ठानों को बंद रखने को कहा गया है, जिनमें दफ़्तर, दुकानें और अनाज-सब्ज़ी की मंडियों के अलावा यातायात भी शामिल हैं.

कोरोना

सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि सिर्फ़ जून महीने की पहली तारीख़ से लेकर अब तक प्रदेश में कोरोना वायरस के 22 हज़ार नए मामले बढ़े हैं. अब पूरे राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 32,362 हो गई है.

सिर्फ़ अकेले गुरुवार को ही संक्रमित लोगों का आँकड़ा 10 हज़ार के पार चला गया.

लगभग 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 845 के पार चली गई है.

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन के अनुसार राज्य ने कोविड जाँच की क्षमता को काफ़ी बढ़ाया है. उनका दावा है कि जहाँ तक जाँच का सवाल है तो उत्तर प्रदेश अब पूरे भारत में सातवें स्थान पर आ गया है.

उनका कहना था कि जून के पहले सप्ताह तक प्रदेश में जाँच की क्षमता सिर्फ़ 8 हज़ार के आसपास थी और कुल 2 लाख 97 हज़ार सैंपलों की ही जाँच हो पाई थी.

लेकिन जून से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक कुल 7 लाख सैंपलों की जाँच हुई है.

उनका कहना था कि मौजूदा वक़्त में उत्तर प्रदेश में प्रति दिन प्रति 10 लाख लोगों में तीन हज़ार लोगों की कोरोना वायरस के लिए जाँच हो रही है, जिसे 4,000 तक जल्द ही पहुँचा दिया जाएगा.

फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की दर 3.2 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से बिल्कुल आधी है.

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क्या ये बेहतर विकल्प है?

डॉक्टर जुगल किशोर सफ़दरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रमुख हैं. वे कोरोना वायरस के संबंध में सरकार की ओर से बनाई गई समिति के नोडल अफ़सर भी हैं.

बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं कि मौजूदा हालात में लॉक डाउन से कोई फ़ायदा नहीं होगा. चाहे वो कोई भी राज्य क्यों न करे.वो कहते हैं, “जब लॉक डाउन किया गया था तो वो इस लिए किया गया था ताकि संक्रमण के फैलाव की गति को धीमी कर सकें. इससे अपनी चिकित्सा तंत्र को मज़बूत करें ताकि जब लोग संक्रमित होने लगें उनके लिए चिकित्सा की सुविधा पहले से ही तैयार रहे. अब लॉक डाउन लगाने का न तो कोई मतलब है ना इससे कोई फ़ायदा होने वाला है.”जुगल किशोर कहते हैं कि आपदा प्रबंधन क़ानून एक सीमित अवधि के लिए ही हो सकता है. महामारी तो सालों साल रहती है और उसका संक्रमण भी सालों रहता है.

अब लॉकडाउन लगाकर लोगों पर लाठी का ज़ोर चलाने की बजाय ऐसा करने की आवश्यकता है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपनी जाँच करा सकें और अपना इलाज करा सकें. लॉक डाउन के बजाय ये बेहतर विकल्प है.

जो बंद रहेंगे

  • सभी दफ़्तर और बाज़ार
  • अनाज और सब्ज़ी की मंडियाँ
  • सारे सार्वजनिक स्थल
  • बस सेवाएँ

जो खुले रहेंगे

  • उच्च मार्ग
  • उच्च मार्ग पर खाने के ढाबे
  • ट्रेनों का परिचालन
  • ग्रामीण इलाक़ों में स्थित औद्योगिक इकाइयाँ
  • शहरी क्षेत्रों के बाहर रोड, भवन या पुल के निर्माण का काम
  • आवश्यक सेवाएँ

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यूपी सबसे ज़्यादा संक्रमण कहाँ?

जानकारों का कहना है कि सरकार को ‘लॉकडाउन’ जैसा क़दम फिर से इसलिए भी उठाना पड़ा है क्योंकि प्रदेश के सुदूर इलाक़ों में स्वास्थ्य सेवाओं का हमेशा से ही बुरा हाल रहा है.

हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है जिसने सबसे पहले घोषणा की थी कि पूरे राज्ये में इस संक्रमण से पीड़ित लोगों की जाँच और उनका इलाज मुफ़्त किया जाएगा.

संक्रमण के मामले उन जिलों में ज़्यादा हैं जो दिल्ली से लगे हुए हैं – जैसे गाज़ियाबाद और गौतम बुद्ध नगर.

इसके अलावा बरेली, वाराणसी, आगरा और अलीगढ़ में भी स्थिति बहुत ज़्यादा अच्छी नहीं है.

राजधानी लखनऊ में भी संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है. जबकि कानपुर, मेरठ, मथुरा, गाज़ीपुर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह ज़िले गोरखपुर में भी कई मामले सामने आए हैं.

सिर्फ़ गाज़ियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में संक्रमित लोगों का आँकड़ा 900 के पार है.

केंद्र सरकार ने भी उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस की जाँच और संक्रमण के फैलने को लेकर चिंता जताई है.

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात करते हुए प्रदेश में टेस्ट और ज़्यादा बढ़ाए जाने पर ज़ोर दिया था.

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टेस्टिंग बढ़ाने का प्रभाव

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि जाँच बढाए जाने के बाद से संक्रमण के मामलों में इज़ाफ़ा हुआ है.

सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में बढ़ रहे मामलों के बीच उत्तर प्रदेश में भी संक्रमण से ठीक होने का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. यानी 69.36 प्रतिशत लोग संक्रमण से ठीक भी हो रहे हैं जो अच्छी बात है.

गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुझाव दिया था कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट के ज़रिए समय रहते ही संक्रमित लोगों को चिन्हित कर उनका इलाज कराया जाए ताकि मृत्यु दर को कम रखा जा सके.

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि पूरे प्रदेश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगभग 6,500 ‘हेल्प-डेस्क’ बनाए गए हैं, जहाँ पर जाँच की व्यवस्था भी की गई है.

इन हेल्प डेस्कों की वजह से संक्रमण का पता लगाने में काफ़ी कामयाबी मिल पाई है.

फ़िलहाल तो दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मज़दूरों को चिन्हित कर उनकी जाँच के लिए पूरे प्रदेश में मुहिम चलाई जा रही है क्योंकि एक दावे के अनुसार सबसे ज़्यादा प्रवासी मज़दूर उत्तर प्रदेश ही लौटे हैं.

वैसे सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ हेल्थ इंटेलिजेंस की ओर से जारी की जाने वाली नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल की वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 19 हज़ार लोगों पर सिर्फ़ एक एलोपैथी के डॉक्टर की व्यवस्था है.

देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में सुदूर इलाक़ों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल, महामारी के इस दौर में सरकार और अधिकारियों के लिए भी चुनौतियों से भरा हुआ है.

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दोबारा लॉकडाउन की स्थिति

उत्तर प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य नहीं है जहाँ फिर लॉकडाउन की स्थिति बन गई है.

पश्चिम बंगाल में भी राज्य सरकार ने अगले एक सप्ताह के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की है.

इस लॉकडाउन के प्रभाव में राज्य के 23 ज़िले आते हैं. पूरे राज्य में इस वक़्त कुल 434 ‘कन्टेनमेंट ज़ोन’ हैं. इनमे अकेले राजधानी कोलकाता में 25 ऐसे क्षेत्र मौजूद हैं.

पश्चिम बंगाल में भी सिर्फ़ आवश्यक वस्तुओं को बेचने वाली दुकानों के अलावा दफ़्तर और बाज़ार बंद रखे जाएँगे. यहाँ तक यातायात पर भी अगले एक सप्ताह तक प्रतिबंध रहेगा.

बिहार में राजधानी पटना के अलावा पूर्णिया और भभुआ में तीन दिनों तक लॉकडाउन रखने की घोषणा की गई है. इस दौरान धार्मिक स्थलों को भी बंद रखने को कहा गया है.

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